14 फरवरी की शाम से मै बहुत परेशान था , valentine डे को लेकर नहीं बल्कि किसी अन्य कारण से ! मामला ये है की मेरा ऑरकुट प्रोफाइल मेरे साथं -2 मेरा एक मित्र भी चलाता है ! 14 फरवरी को उसने अपडेट किया की आज हम लोगों को valentine डे तो याद है लेकिन 13 फरवरी को शहीदे आज़म भगत सिंह , सुखदेव और शिवराम राजगुरु को फाँसी पर लटकाया गया था ,ये किसी को याद नहीं है !" अब ये वाकई अचम्भे की बात है क्योंकि सभी जानते है कि भगत सिंह और उनके साथियों को 23 मार्च की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर फाँसी पर लटकाया गया था !मेरे दोस्त ने ये गलत अपडेट डी और अगले ही दिन मुझे 3 फ़ोन आये इस बात को लेकर , साथ ही 2 कमेन्ट भी आये ! इसीलिए मै एक पोस्ट इसी बात पर लिख रहा हूँ !13 फरवरी को valentine डे का विरोध करने के लिए बहुत से लोगों ने इस गलत बात का मैसेज के द्वारा खूब प्रचार किया !पूरे देश में ये मैसेज चला कि आज हम लोगों को valentine डे तो याद है लेकिन 13 फरवरी को शहीदे आज़म भगत सिंह , सुखदेव और शिवराम राजगुरु को फाँसी पर लटकाया गया था ,ये किसी को याद नहीं है ! लोग valentine डे के विरोध के चक्कर में खुद ये भूल गए कि भगत सिंह और उनके साथियो को फाँसी कब हुई थी और मैसेज के द्वारा अन्य लोगों को यही ताना मारते रहे कि भगत सिंह कि फाँसी का किसी को याद नहीं ! काफी हास्यास्पद बात है ! अब ये मैसेज कहा से आया ये तो पता नहीं लेकिन मैंने जो थोड़ी खोजबीन कि है उसे मै आपके सामने रख रहा हूँ !
हालाँकि ये मैसेज 12 फरवरी से भेजा जाना शुरू हो गया था !लेकिन इसमें बाढ़ आई स्टार न्यूज़ के एक टॉक शो के बाद ! 13 फरवरी को स्टार न्यूज़ पर शाम को valentine day को लेकर एक टॉक शो चल रहा था ! इस शो को दीपक चौरसिया होस्ट कर रहे थे ! इसी शो में मुंबई से आशुतोष नाम के एक व्यक्ति से फ़ोनों लिया गया जिसमे उन्होंने ये बात कही कि आज भगत सिंह और साथियों को फाँसी दी गयी थी लेकिन किसी को याद नहीं ! इसके बाद ये मैसेज और तेजी से फारवर्ड किया जाने लगा ! आशुतोष के एक मित्र से मेरी बात हुई और उन्होंने बताया कि आशुतोष ने तो उस मैसेज को पढने के बाद ही ये कहा था और उसके कहने का मतलब था कि लोग ये भूल गए कि भगत सिंह को फाँसी 23 मार्च को हुई थी और सब लोग 13 फरवरी को ही उन्हें फाँसी पर जबरदस्ती लटका रहे है !
लेकिन इसमें सबसे बड़ी विडम्बना कि बात ये है कि उस वक़्त वहा बैठे किसी व्यक्ति ने ये नहीं कहा कि भगत सिंह को फाँसी २३ मार्च को हुई थी ! दीपक चौरसिया जो एक बड़े प्रतिष्ठित पत्रकार है , शायद उनकी अक्ल भी घास चरने चली गयी थी !बाकी का तो कहना ही क्या ? और सब लोगों ने इस मैसेज को पढ़ा और अपनी देशभक्ति दिखाते हुए इसे फारवर्ड भी किया ! इससे ये साबित होता है कि हाँ वास्तव में हम लोग अपने प्रेरणा पुरुषों को भूलते जा रहे है ! अगर इस तरह का कोई डे 5 जनवरी को या किसी भी दिन हो और मै सबको मैसेज कर दू कि आज उधम सिंह को फाँसी हुई थी लेकिन सब ये डे माना रहे है तो लोग उसे पढेंगे भी और आगे भेजेंगे भी ! यानि कि उन्हें पता ही नहीं है कि ऐसा हुआ था या नहीं ?
ऐसे स्तिथि वाकई में खतरनाक है क्योंकि जब कोई देश या समाज अपने प्रेरणा पुरुषों को, अपनी संस्कृति को ,अपने इतिहास को भूलने लगता है तब वो अपने पतन कि ओर अग्रसर होने लगता है ! हाँ उस पतन का प्रारंभिक स्वरुप नैतिक हो सकता है !
अब ये मैसेज १३ फरवरी के दिन ऐसे क्यों चला , इस बारे में जब दोस्तों से चर्चा हुई तो पता लगा कि शायद १३ फरवरी १९३१ को भगत सिंह को फाँसी कि सजा सुने गयी थी ( मै अभी आस्वस्त नहीं हूँ कि ऐसा हुआ था , यदि किसी को पता है तो जरुर बताये ) ! किसी ने ऐसा मैसेज भेजा होगा बाकी चलते -२ कुछ छोड़ते हुए तो कुछ जोड़ते हुए कुछ और ही बन गया !
फिर भी हम सभी को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि कम से कम हमारे प्रेरणा पुरुषों के साथ ऐसा न हो ! valentine डे जैसे फालतू त्योहारों /पर्वो या फिर पता नहीं क्या है के चक्कर में हम अपने इतिहास को न भूलें ! इतिहास के बिना क्या हाल होता है इसका एक उदहारण हम पाकिस्तान के रूप में देख रहे है !
अभी एक सुन्दर शेर याद आ रहा है :- कल नुमाइश में मिला था चीथड़े पहने हुए , मैंने पूछा नाम तो वो बोला कि हिंदुस्तान है !
फिर मिलूँगा !................ अलविदा
भाई मुझे मेरी एक बहुत ही काबिल दोस्त ने ये एस एम एस किया मैने फ़ौरन उन्हे जबान भेजा कि इस दिन का भगत सिह, राजगुरू और सुखदेव से कोई ताल्लुक नही है उनका जबाब था कि मुझे ये सन्देश अग्रेसित होकर आया था मैने आगे बढा दिया. उन्होने चैक किया और बात मान ली. अन्तरजाल पर भी कुछ लोगो ने इसका जिक्र किया.
ReplyDeleteissme koi tajjub ki baat nahi ki aaj kal ke log bhagat singh ki shahadat ke din ko bhool jaye. are ye log to bhagat singh ko bhi bhool jate agar un par filme na banti.
ReplyDeletehttp://rajdarbaar.blogspot.com/
bahut accha lekh hai.vakai me hamare yaha log bhed chal par jyada yakin rakhte hain.Lekin na valentine jaise days ka itihas bhulne se koi lena dena hai na pakistan ke haal se.Itihas yad rakhna ham aur aap par nirbhar hai.Bharat sabhi sanskritiyo ka milan hai.Aur aj jo hai vo kal itihas ho hi jaega.Ham hamesha ise sahej kar nai rakh sakte.
ReplyDeleteएक बड़े वकील साहब शाहजहांपुर में मिले. मेरे साथ मेरा भांजा भी था. मैंने उससे पूछा कि बिस्मिल और अशफाक उल्ला का घर पता है कहां है? वकील साहब ने कहा, जानने की जरूरत भी क्या दीक्खे है अब. तो समझ लीजिये कि हमारे आस पास में कैसे लोग हैं, कैसा माहौल है.
ReplyDeleteकल नुमाइश में मिला था चीथड़े पहने हुए ,
ReplyDeleteमैंने पूछा नाम तो वो बोला कि हिंदुस्तान है!
-क्या हाल हो गया है..इतिहास तो छोड़िये वर्तमान की बैण्ड बजी है.
बहुत सुन्दर भाई कम शब्दों में पूरी बात कह डाली ।
Deleteबहुत सुन्दर भाई कम शब्दों में पूरी बात कह डाली ।
Deleteयह मेसेज मुझे भी मिला तो मैने उन्हे कहा कि 23 मार्च 1931 यह तारीख तो सभी को पता है और इस दिन जलसे भी होते हैं । हम लोग इस दिन अपने इन शहीदों की याद में कवि सम्मेलन भी करते हैं । अब जकर इस अफवाह का सूत्र मालूम हुआ । अफवाहों का विरोध करना चाहिये तभी वे थमती है ।
ReplyDeleteआप ने यह आलेख लिख कर सही किया है। 23 फरवरी सही दिन है।
ReplyDelete२३ फरवरी नहीं जी २३ मार्च
Deleteभगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू को फाँसी की सजा 7 अक्टूबर 1930 को सुनाई गई थी।
ReplyDeleteThanks Sir ji. ..muje ye date pta krni thi. .or aapke is msg.ne meri help kr Di. ..I hope it's right date. Again thanku so much.
Deleteham agar desh ke liye sochoenge to hi dusro se bhi umid hm rakh skte hai
ReplyDeletekya ho gaya
ReplyDeletebhai ye msg mere pass bhi aaya tha lekin mere ek dost ne is msg ko pada to usne mujse tutant kaha ki ye galat likha hai .........lekin mene use kaha ki ye sahi hai ,,,,,,,,,,
ReplyDeletevaise kuch bhi sahi humare desh me un logo ko yaad kiya jata hai jo kewal samaaj sewa ka dong karte hai jaise ,,,,,,,,m g me pura naam nahi likh sakta kyoki babaal ho jayega
aap jaise log hi hamare desh ko age le ja sakte h ......... I SALUTE HIM
ReplyDeleteयह संदेश मुझे भी मिला था और मैंने इसको कई लोगों को अग्रेषित किया। लेकिन मेरे कुछ शुभचिंतकों ने मुझे सही तिथि बताई और मैंने इसकी जानकारी अन्य स्रोतों से प्राप्त की।
ReplyDeleteमुझे खेद है इस बात का कि मैंने अनजाने में ओरों के साथ मैंने भी इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। मैंने जिन लोगों को भी यह संदेश भेजा मैं उनसे क्षमा माँगता हूँ।
डॉ. धर्मेन्द्र कुमार शर्मा
यह मैसेज आज फिर आ गया। आपने बहुत अच्छा लेख लिखा है। दीपक चौरसिया से ऐसी उम्मीद नहीं थी।
ReplyDeleteभगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को फ़ासी की सजा 7 अक्टूबर 1930 को हुई थी दिन तय हुआ था 24 मार्च 1931 लेकिन जनता की भीड़ और आक्रोश से डर कर अंग्रेजी हुकूमत ने 23 मार्च की शाम को हो उन तीनों को फ़ासी पर चढ़ा दिया था
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