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Monday, November 23, 2009

26/11 aur kasab aur hum aur hamari sarkar

26711 की घटना को एक वर्ष होने को जा रहे है लेकिन हम अब तक उस हमले के एकमात्र  जीवित आतंकी को सजा नहीं दे पाए है. अलमल आमिर कसाब भारत में स्पेशल कोर्ट में खड़े होकर ठहाके लगता है. वो जेल में बिरयानी की मांग करता है क्यों कि वो जानता है कि वो एक ऐसे मुल्क में बंदी है जहा मानव से अधिक मानव अधिकार बड़ा माना जाता है , जहा देश हित से बड़ा पार्टी हित और अपनी कुर्सी का हित होता है. हमारी सरकार सैकड़ों लोगो को मारने वाले कसाब पर अपनी जनता के खून पसीने की कमाई बर्बाद कर रही है. इससे शर्म की बात क्या होगी की जिस आतंकवादी को निर्दोष लोगो को मारते हुए सबने लाइव देखा था उसे हम सजा नहीं दे पा रहे है. उसके खिलाफ भी सबूत ढूढे जा रहे है .क्या ये हमारे कानून की कमी नहीं है ? क्या ऐसे आदमी को फांसी देने के लिए सबूतों की जरुरत है ? यदि हा तो फिर ये उन लोगो ओके गाली देने जैस होगा जिन्होंने इस हमले में अपनी जान गवाई है. ये उन शहीदों के साथ विश्वासघात  है जिन्होंने देश के नाम अपने प्राण न्योछावर कर दिए. कसाब जैसे आदमी के लिए कोई कानून नहीं होता लेकिन फिर भी हम तुष्टिकरण कि आंधी में कसाब सर आँखों बैठा रहे है . ऐसे व्यक्ति को तो सरे आम जनपथ पर गोली मार देनी चाहिए और जनपथ का भी नाम चरितार्थ करना चाहिए , लेकिन क्या भारत में ऐसा संभव है ?
         जरा विचार करे कि ऐसा क्यों ?

Monday, November 09, 2009

वन्दे मातरम

दारुल उलूम ने वन्दे मातरम न गाने का फतवा जारी किया. इसका सिर्फ एक जवाब और प्रतिक्रिया :-
                                     वन्दे मातरम                   वन्दे मातरम
वन्दे मातरम             वन्दे मातरम      वन्दे मातरम
     वन्दे मातरम          वन्दे मातरम                       वन्दे मातरम                 वन्दे मातरम
वन्दे मातरम           वन्दे मातरम                          वन्दे मातरम 
                  वन्दे मातरम                  वन्दे मातरम