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Friday, July 23, 2010

बढ़ते दाम : सरकार नाकाम

कामनवेल्थ की ये कैसी घटा छाई है !
कि शहर में हर रोज बढ़ रही महंगाई है !!

बड़ी चकाचौंध है सारा शहर जगमगा रहा है,
वाह! क्या रौनक है बाजारों में बड़ा हसीं नजारा है !
पिस रही है जनता सारी, मत पूछिए
कि किस तरह होता यहाँ गुजरा है !!

सोने चाँदी के दामों कि हमें फिक्र नहीं,
वो तो हमारी पहुच से भी परे हैं !
हमें तो फिक्र है 'पेट्रोल' और 'डीजल' की
जिनके दाम सोने चाँदी से भी खरे हैं !!

'सी एन जी' और 'एल पी जी' के दामों में 'सेंसेक्स' से ज्यादा उछाल है !
बस में सफ़र करना भी आसान नही महंगाई का ये हाल है !!

बंद का असर अख़बारों की सुर्ख़ियों में तो दिखता है ,
पर असल में हर सामान बढे हुए दामों पर ही बिकता है !

चिकन मटन की दुकानों पर तो लग गए अब तालें हैं !
क्योंकि उतने ही दामों पर यहाँ बिकती सब्जियां और दालें हैं !

इतना सब होने पर भी कोई चीज 'PURE' नहीं है ,
दामों में कमी आएगी इसके लिए सरकार 'SHURE' नही है !
सरकार का कहना है की मेट्रो में सफ़र करें ,
बढ़ जाये अगर दाम मेट्रो के भी तो भी हम 'SUFFER' करें !

महंगाई का असर दूध के दामों पर भी दिख रहा है ,
ये अलग बात है की दूध के नाम पर कुछ और ही बिक रहा है !

जाने कैसे बनी हुई ये देश की राजधानी है ,
जिसमे न तो रहने के लिए बिजली और न पीने के लिए पानी है !


कम कीमतों पर देती सरकार बस आश्वासन है,
अब  तो जागो यारों,
ये लोकतंत्र नहीं रहा,
ये अंग्रेजों जैसा ही शासन है !
                         --------------  सालिक अहमद
ये कविता मेरे मित्र और सहपाठी सालिक अहमद द्वारा लिखी गयी है  ! उनकी इच्छानुसार मैंने इसे अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर दी है !

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धन्यवाद !!!!!