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Monday, February 15, 2010

भगत सिंह को 13 फरवरी को फाँसी

14 फरवरी की शाम से मै बहुत परेशान था ,  valentine डे को लेकर नहीं बल्कि किसी अन्य कारण से ! मामला ये है की मेरा ऑरकुट प्रोफाइल मेरे साथं -2 मेरा एक मित्र भी चलाता है ! 14 फरवरी को उसने अपडेट किया की आज हम लोगों को valentine डे तो याद है लेकिन 13 फरवरी को शहीदे आज़म भगत सिंह , सुखदेव और शिवराम राजगुरु  को फाँसी पर लटकाया गया था ,ये किसी को याद नहीं है !"  अब ये वाकई अचम्भे की बात है क्योंकि सभी जानते है कि भगत सिंह और उनके साथियों को 23 मार्च की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर फाँसी पर लटकाया गया था !मेरे दोस्त ने ये गलत अपडेट डी और अगले ही दिन मुझे 3 फ़ोन आये इस बात को लेकर , साथ ही 2 कमेन्ट भी आये ! इसीलिए मै एक पोस्ट इसी बात पर लिख रहा हूँ !13 फरवरी को valentine डे का विरोध करने के लिए बहुत से लोगों ने इस गलत बात का मैसेज के द्वारा खूब प्रचार किया !पूरे देश में ये मैसेज  चला कि  आज हम लोगों को valentine डे तो याद है लेकिन 13 फरवरी को शहीदे आज़म भगत सिंह , सुखदेव और शिवराम राजगुरु  को फाँसी पर लटकाया गया था ,ये किसी को याद नहीं है ! लोग valentine डे के विरोध के चक्कर में खुद ये भूल गए कि भगत सिंह और उनके साथियो को फाँसी कब हुई थी और  मैसेज के द्वारा अन्य लोगों को यही ताना मारते रहे कि भगत सिंह कि फाँसी का किसी को याद नहीं ! काफी हास्यास्पद बात है ! अब ये मैसेज कहा से आया ये तो पता नहीं लेकिन मैंने जो थोड़ी खोजबीन कि है उसे मै आपके सामने रख रहा हूँ !
हालाँकि ये मैसेज 12 फरवरी से भेजा जाना शुरू हो गया था !लेकिन इसमें बाढ़ आई स्टार न्यूज़ के एक टॉक शो के बाद ! 13 फरवरी को स्टार न्यूज़ पर शाम को valentine day को लेकर एक टॉक शो चल रहा था ! इस शो को दीपक चौरसिया होस्ट कर रहे थे ! इसी शो में मुंबई से आशुतोष नाम के एक व्यक्ति से फ़ोनों लिया गया जिसमे उन्होंने ये  बात कही कि आज भगत सिंह और साथियों को फाँसी दी गयी थी लेकिन किसी को याद नहीं ! इसके बाद ये मैसेज और तेजी से फारवर्ड किया जाने लगा ! आशुतोष के एक मित्र से मेरी बात हुई और उन्होंने बताया कि आशुतोष ने तो उस मैसेज को पढने के बाद ही ये कहा था और उसके कहने का मतलब था  कि लोग ये भूल गए कि भगत सिंह को फाँसी 23 मार्च को हुई थी और सब लोग 13 फरवरी को ही उन्हें फाँसी पर जबरदस्ती लटका रहे है !
लेकिन इसमें सबसे बड़ी विडम्बना कि बात ये है कि उस वक़्त वहा बैठे किसी व्यक्ति ने ये नहीं कहा कि भगत सिंह को फाँसी २३ मार्च को हुई थी ! दीपक चौरसिया जो एक बड़े प्रतिष्ठित पत्रकार है , शायद उनकी अक्ल भी घास चरने चली गयी थी !बाकी का तो कहना ही क्या ?  और सब लोगों ने इस मैसेज को पढ़ा और अपनी देशभक्ति दिखाते हुए इसे फारवर्ड भी किया ! इससे ये साबित होता है कि हाँ वास्तव में हम लोग अपने प्रेरणा पुरुषों  को भूलते जा रहे है ! अगर इस तरह का कोई डे 5 जनवरी को या किसी भी दिन हो और मै सबको मैसेज कर दू कि आज उधम सिंह को फाँसी हुई थी लेकिन सब ये डे माना रहे है तो लोग उसे पढेंगे भी और आगे भेजेंगे भी ! यानि कि उन्हें पता ही नहीं है कि ऐसा हुआ था या नहीं ?
ऐसे स्तिथि वाकई में खतरनाक है क्योंकि जब कोई देश या समाज अपने प्रेरणा पुरुषों को, अपनी संस्कृति को ,अपने इतिहास को भूलने लगता है  तब वो अपने पतन कि ओर अग्रसर होने लगता है ! हाँ उस पतन का प्रारंभिक स्वरुप नैतिक हो सकता है !
अब ये मैसेज १३ फरवरी के दिन ऐसे क्यों चला , इस बारे में जब दोस्तों से चर्चा हुई तो पता लगा कि शायद १३ फरवरी १९३१ को भगत सिंह को फाँसी कि सजा सुने गयी थी ( मै अभी आस्वस्त नहीं हूँ कि ऐसा हुआ था , यदि किसी को पता है तो जरुर बताये ) ! किसी ने ऐसा मैसेज भेजा होगा बाकी चलते -२ कुछ छोड़ते हुए तो कुछ जोड़ते हुए कुछ और ही बन गया !
फिर भी हम सभी को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि कम से कम हमारे प्रेरणा पुरुषों के साथ ऐसा न हो ! valentine डे जैसे फालतू त्योहारों /पर्वो या फिर पता नहीं क्या है के चक्कर में हम अपने इतिहास को न भूलें ! इतिहास के बिना क्या हाल होता है इसका एक उदहारण हम पाकिस्तान के रूप में देख रहे है !

अभी एक सुन्दर शेर याद आ रहा है :- कल नुमाइश में मिला था चीथड़े पहने हुए , मैंने पूछा नाम तो वो बोला कि हिंदुस्तान है !
फिर मिलूँगा !................ अलविदा