Pages

Thursday, January 28, 2010

सोनिया गाँधी और ऑटो वाला -एक सैर

नमस्कार मित्रों ! मैंने पिछले पोस्ट में  अपने एक अनुभव  को आप सब के सामने रखा था !आज फिर अपने एक और अनुभव को  आप सबके सामने रख रहा हूँ !
२४ जनवरी की बात है, हम कुछ मित्र  NEW ZEALAND के प्रसिद्ध पूर्व क्रिकेटर ( कप्तान ) सर रिचर्ड हेडली से मिलने अशोका होटल में गए थे ! शाम को ६ बजे वहा से वापसी के लिए मैंने एक ऑटो लिया, मेरे साथ में मेरे बड़े भाईसाहब भी थे !वो किसी काम से दिल्ली आये हुए थे तो उनको भी लेके चला गया था ! ऑटो ड्राईवर एक अनुभवी अधिक आयु वाला व्यक्ति था और काफी मिलनसार भी !वो रस्ते में आने वाले सभी बड़े नेताओ ,मंत्रियो के घर दिखाता जा रहा था !जब हम लोग जनपथ पहुचे तो वो सोनिया गाँधी (१० जनपथ) और रामविलास पासवान (उनके पडोसी ) का बंगला दिखने लग गया ! वो भी महंगाई से त्रस्त था, इसीलिए महंगाई के लिया सोनिया जी को उल्टा सीधा बोलता भी जा रहा था !ऐसे ही उसने पासवान जी के बारे में भी कहा की वो हारने के बाद भी बंगला नहीं छोड़ रहा !उसने कहा की ये नेता , मंत्री लोग जनता के पैसे को खाते हैं और जनता बेचारी दाल रोटी को भी तरस कर रह गयी है ! मैं भी उसकी बातों में रस लेने लगा था ! अतः वो मुझसे आराम से बातें कर रहा था !
वैसे वो ऑटो मैंने केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन जाने के लिए पकड़ा था ! वहा से मुझे किसी से मिलने के लिए नई दिल्ली जाना था , लेकिन फिर मैंने उससे कहा की अब नई दिल्ली तक ले चलो ! हाँ,  तो  हम जनपथ रोड से गुजर  रहे थे, सामने रेड लाइट होने पर ऑटो रुक गया ! वहा ६ -७ शसस्त्र बलों के जवान खड़े अपनी ड्यूटी कर रहे थे , उनसे थोड़ी दूरी पर कुछ छोटे बच्चे और औरतों भी फुटपाथ पर बैठे हुए थे ! रेड लाइट पर वाहनों के रुकते ही वो बच्चे वाहनों की तरफ दौड़ पड़े !एक बच्चा  हमारे पास भी आया , उसके हाथ में लेड वाली दो पेंसिले थीं !पेंसिलों को उसने भैया के पैर पर रख दिया और १० रुपये मांगने लगा ! मैंने कहा की भाई नहीं चैहिये तो वो हाथ जोड कर बोलने लगा - ले लो बाबूजी  आपको दुआ मिलेगा , भगवान भला करेगा !हमारे मना  करने पर उसने पैर पकड़ लिए और जोर -२ से बोलने लगा -ले लो बाबूजी  आपको दुआ मिलेगा , भगवान भला करेगा !पेंसिल हमें लेनी नहीं थी पर मैंने  सोचा की कुछ पैसे दे दूँ , मैंने २ रुपये निकले और देने लगा तो उसने मना  कर दिया और कहा की ले लो -२, फिर ऑटो वाले ने जोर से डाटा तो वो २ रुपये लेकर चला गया !    बाद में ऑटो वाले ने कहा की क्यों दे दिए पैसे ,ये गरीब नहीं पेशेवर भिखारी है, आप इन्हें कहो की घर चल खाना खिलाऊंगा, कपडे दूंगा तो ये भाग जाते है ! ये सब दाउद के लोगो से पाले जाते है और इनकी जगह फिक्स होती है ,............. अगर मै या आप भीख मांगने आ जाये तो जान से मार दिए जायेंगे ! ......और ये सब मैडम सोनिया की नाक के निचे होता है !

मै उससे लगातार बात करता रहा , फिर मैंने उससे उसके बारें में पूछना शुरू किया ,  उसका नाम - लक्ष्मण सिंह  है और वो पिथौरागढ़ कुमाओं से है !       मैंने उसके ऑटो के बारे में पुचा तो उसने बताया की ये उसका अपना है और जल्द ही उसका परमिट ख़त्म होने वाला है !नई परमिट लेने के लिए ५ लाख की जरुरत है लेकिन दलाल के जरिये वो ये काम १.५ लाख में ही करा लेगा !    लेकिन देश के प्रधानमंत्री  और राष्ट्रपति को चलने वाली वो सोनिया भी इस काम को १.५ लाख में नहीं  करा सकती लेकिन मै करा सकता हूँ ! 
दोस्तों इस तरह वो हमेंबहुत साड़ी बातें बताता हुआ बिलकुल ठीक जहाँ हमें जाना था वाही छोड़  दिया  --- मुल्तानी धांधा पहाड़गंज ! मैंने पैसे देने के बाद उसे धन्यवाद दिया !फिर पूछा कहा रहते हो, बाकि पैसे लौटते हुए वो बोला - पटपडगंज ! मैंने अलविदा कहते हुए कहा की फिर मिलेंगे लेकिन वो अपना ऑटो मोड़ने में व्यस्त हो गया था !
दोस्तों वो शाम मुझे याद रहेगी !
फिलहाल इतना ही .......................................................अलविदा  

Thursday, January 14, 2010

गरीबी की स्वीकार्यता

नमस्कार मित्रो !आज मकरसंक्रांति है ! ऐसा कहते है कि आज सूर्य देव उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर जाते है, और आज से ठण्ड कम होनी शुरू हो जाती है !
आज जब मै सुबह उठा तो आज भी रोज कि तरह भीषण ठण्ड थी लेकिन अपने दैनिक कार्यो के लिए तो निकलना ही था ! मेरे  हाउस एक्साम्स चल रहे है , आज मेरी अंतिम परीक्षा थी ! अतः मै भी सुबह -२ तैयार होकर घर से निकला और मेरी तरह ही बाकी लोग भी पापी पेट के लिए अपने घरो से निकल चुके थे ! मै बस स्टैंड पर गया और खुशकिस्मती से तभी मेरे रूट की एक डी टी सी बस आ गयी !मै खुद को  बहुत भाग्यवान समझ रहा था क्योंकि मुझे १५-२० मिनट इन्तजार किया बिना ही डी टी सी बस मिल गयी थी ! मै बस में चढ़ गया और कुछ ही देर में सीट भी मिल गयी और भी अच्छा ये की ऐसा कोई असहाय व्यक्ति भी नहीं खड़ा था जिसे सीट की आवश्यकता हो और न ही कोई महिला या वृद्ध !हा एक -दो लड़कियां खड़ी थी लेकिन मैंने उन्हें सीट के लिए नहीं पूछा क्योंकि वो महिलाएं नहीं है !
खैर , लगभग १५ मिनट  के सफ़र के बाद एक बहुत ही अजीब घटना घटी ! एक व्यक्ति बस में चढ़ा जो देखने में सामान्य सा लग रहा था , शर्ट पैंट और स्वेटर पहने हुए था और उसके ऊपर एक साल ओढ़कर रखी थी! वो एक सामान्य मध्य वर्गीय आदमी कि तरह लग रहा था लेकिन इसमें कुछ भी नया नहीं था !हैरानी  तो तब हुई जब  कंडक्टर द्वारा टिकेट मांगने पर उसने एक हलकी फीकी मुस्कान एके साथ कहा कि टिकेट के लिए पैसे नहीं है और मुझे घंटा घर तक जाना है!सामान्यतः जब इस तरह कोई चढ़ता है तो लोग उसे तिरस्कार कि नजरो से देखते है, कंडक्टर उसे बस से नीचे उतार देता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ ! उसकी ये बात सुनकर कंडक्टर एक बार को तो अवाक रह गया उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे , क्या बोले ............ बाकी लोग भी उस आदमी को बिना कुछ बोले एकटक देखते रहे ................. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि  वो कोई भिखारी नहीं था, वो कोई मांगने वाला नहीं था बल्कि "वो एक सामान्य गरीब आदमी था जो हलकी फीकी मुस्कान के साथ अपनी गरीबी स्वीकार कर रहा था " !एक आम आदमी जो स्वाभिमानी होता है लेकिन आज इस गरीबी ने सबके सामने उसे झुका दिया !कंडक्टर ने उससे कहा कि कोई बात नहीं तू बीच में खड़ा हो जा मै तुझे घंटाघर उतार दूंगा ! वो बिना कुछ बोले आगे बढ़ गया , तभी उसके सामने एक सीट खाली हुई लेकिन उसकी बैठने कि हिम्मत न हुई या वो खुद को शायद उस सीट का हक़दार नहीं मान रहा था ! तभी कंडक्टर उससे एक बार फिर पूछा कि सच में पैसे नहीं है लेकिन उसने सुना नहीं , वहा खड़े एक आदमी ने कहा कि बुलाऊ क्या तो कंडक्टर ने कहा कि रहें दे !................शक्ति नगर कि रेड लाइट आने पर मै उतर गया क्योंकि मुझे दूसरी बस लेनी थी , मुझे विस्वास है कि कंडक्टर ने उसे घंटाघर पर उतार दिया होगा ! 

Sunday, January 10, 2010

amar kriti madhushala

नमस्कार दोस्तों ! आज अमिताभ जी कि आवाज में मधुशाला का आनंद लिया ! मिशंदेह मधुशाला एक अमर कृति है ! हरिवंश राय बच्चन जी ने इसे न जाने किस कल्पना लोक में जाके लिखा था लेकिन ये वास्तव में एक अद्भुत कृति है जो आपको मस्त कर देती है ! मई नमन करता हु उस महान कवी को,........
कुछ पंक्तिया ................
अपने युग में सबको अद्भुत ज्ञात हुई अपनी हाला .
अपने युग में सबको अनुपम ज्ञात हुआ अपना प्याला .
फिर भी वृधो से जब पुचा एक यही उत्तर पाया
अब न रहे वे पिने वाले अब न रही वो मधुशाला !
             ......................अब कुछ लिखने का मन नहीं कर रहा !अलविदा