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Tuesday, August 04, 2009

हमें शहीदों को भूलने की आदत होती जा रही है

द्रास में कारगिल विजय के 10 साल पूरे होने पर उनकी सालगिरह मनाई गई !इस मौके पर हमारे महान नेताओ के पास टाइम का बड़ा अकाल था ! शहीदों को श्रधांजलि देने के लिए उनके पास समय नही था !इस मौके पर सेना प्रमुख की अनुपस्थिति भी काफी खली !जिन शहीदों ने हमारी और भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी, आज हमारे नेताओ के पास उनके लिए समय नही है !हाय रे देश का दुर्भाग्य कि  जिन्होंने तिरंगे पर कोई आंच न आए इसलिए अपने प्राणों की बलि दे दी आज उनके लिए देश के कर्णधारो के पास समय नही है !
इसी प्रकार 31 जुलाई को एक महान शहीद की पुन्यथिति थी लेकिन किसी को इसकी ख़बर तक नही ! 31 जुलाई को सरदार उधम सिंह की पुन्यथिति थी लेकिन कितने लोगो ने उन्हें याद किया किस नेता ने उनकी तस्वीर पर फूल चढाये ---शायद किसी ने भी नही !किसी भी अखबार में उनको समर्पित कोई विज्ञापन नही आया,किसी भी न्यूज़ चैनल में उनके ऊपर चर्चा नही हुई ,बहुत कम लोग जानते है की उधम सिंह कौन थे ?चलिए हम ही उधम सिंह को याद कर लेते है देर से ही सही !
सरदार उधम सिंह वो महान क्रन्तिकारी थे जिन्होंने जलियावाला बाग हत्याकांड का बदला लिया !जलियावाला बाग में शान्ति पूर्वक प्रदर्शन कर रहे निर्दोष लोगो को गेनेराल डायर ने भून कर रख दिया था ! बाग में सभा चल रही थी कि डायर अपने सैनिकों के साथ वहां पहुंचा और बिना किसी चेतावनी के प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बर्शानी शुरू कर दी. वहां से निकलने का भी एक मात्र संकरा रास्ता था जिस पर दायर खड़ा था ! लोग भागते  भी तो कहाँ, उस जगह पर एक कुआँ था, लोगो ने उसमें कूदना शुरू कर दिया! लाशों से वो कुआँ पट गया था !चरों  तरफ़ बस चीत्कार ही सुनाई दे रही थी, अनेक बच्चे अनाथ हो गए माताएं बहनें विधवा हो गई. वहां की धरती खून से लाल हो गई थी !
इस हत्या कांड के बाद जनरल डायर लन्दन चला गया ! वो जालिम भारत में अनेकों देशभक्तों को मार कर सुरक्षित अपने घर भी चला गया ! ऐसे में एक आदमी ने इस हत्या कांड की बदला लेने की सोची और वो महान आदमी थे सरदार उधम सिंह ! उधम सिंह एक मात्र ऐसे क्रन्तिकारी थे जिन्होंने दुश्मन को उसके घर में घुस के समाप्त किया !शहीद सरदार उधम सिंह ने "घर में घुस के मरना" की कहावत को चरितार्थ किया!
उधम सिंह के बारे में हम ये भी कह सकते है की वो एक अलग तरह के क्रांतिकारी थे !जन्म के 7 वर्ष के बाद उनके माता पिता का निधन हो गया था !वो अमृतसर के एक "बब्बर खालसा" नाम के अनाथालय में पले बड़े थे ! बाद में अमेरिका गए वहां से पिस्तोल रखने के जुर्म में जेल जाना पड़ा ! 15 वर्ष जेल में काटे उसके बाद फिर डायर को मारने का प्रयास शुरू कर दिया ! एक लंबे इंतज़ार के बाद और अनेक समस्याओं को पार कर अंत में डायर को लन्दन में गोलियों से भून दिया ! वो ये बात भली प्रकार से जानते थे की इसकी सजा फाँसी से कम नही होगी लेकिन फिर भी उन्होंने बदला लेकर भारत माता का सच्चा सपूत होने का परिचय दिया !

लेकिन आज हम शहीद सरदार उधम सिंह को भूलते जा रहे है! या फिर शायद हमें शहीदों को भूलने की आदत हो गई है !उधम सिंह तो काफी पहले समय की बात है ! हमने तो 10 वर्ष पहले देश की शान को बचाने वाले  कारगिल के जवानों को भुला दिया है ! हाय रे देश का दुर्भाग्य यहाँ माताओं ने जितने पूत जने लोग उन्हें उतनी ही जल्दी भूल जाते है!
लेकिन कब तक ऐसे ही चलता रहेगा ? क्या शहीद लोगो को ऐसे ही भूलते रहने से हमारी धन्य माएं शहीद जनना  छोड़ न देंगी ! विचार करे ........................................

4 comments:

  1. priye ramendra ji, aapka ye lekh vakai me soye hue ko jagane ka kam karne wala hai. aap apna pryas jari rakhen. isme bhagwan apko puri saflata den aisi mere subhakamna hai. aur pryas hum sabka jarur hi safal hoga. jai hind jai bharat.

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  2. it is right our netas r burden on us, but many of us also not rember the great fighters of nation of past & present. we hve also to become more patriotic by our thoughts & working!!!!

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  3. Iam highly impressed towards your views on udham singh and kargil warriors who given their lives for our country. I pay salute to all the known and unknown soldiers.

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